देहरादून। उत्तराखंड में अप्रैल से मध्य मई तक कोरोना चरम पर रहा। इस दौरान देहरादून में कोरोना के नए मामलों का ग्राफ जैसे-जैसे बढ़ा, उसी क्रम में बाजार में कुछ दवाओं की मांग में भी बढ़ोतरी हुई। सबसे अधिक मांग पैरासिटामॉल की थी। इस अवधि में जनपद में रोजाना पैरासिटामॉल की एक लाख टेबलेट की बिक्री हुई। इसके अलावा एजिथ्रोमाइसिन और आइवरमेक्टिन की भी अच्छी-खासी मांग थी। हालांकि, पिछले तीन-चार दिन में इनकी मांग में गिरावट आई है।
होलसेल केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष नंदा ने बताया कि अप्रैल में प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर तेज होने पर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोरोना से सुरक्षा के लिए कुछ दवाओं के नाम जारी किए गए। इसके बाद पैरासिटामॉल के साथ एजिथ्रोमाइसिन और आइवरमेक्टिन खरीदने के लिए होड़ लग गई। दूनवासियों ने भी ये दवा खरीदकर घर में रख लीं। पैरासिटामॉल की बिक्री सबसे ज्यादा हुई।
नंदा के अनुसार देहरादून जिले में विकासनगर, ऋषिकेश, मसूरी और देहरादून शहर में ही 700 से ज्यादा मेडिकल स्टोर पंजीकृत हैं। इस संख्या में चकराता समेत जिले के कई पहाड़ी क्षेत्रों के मेडिकल स्टोर शामिल नहीं हैं। बीते कुछ समय से इनमें से प्रत्येक मेडिकल स्टोर से रोजाना पैरासिटामॉल की 100 से ज्यादा टेबलेट की बिक्री हो रही थी।
इसी तरह एजिथ्रोमाइसिन और आइवरमेक्टिन की रोजाना 30 से 35 टेबलेट बिक रही थीं। यह सिलसिला अप्रैल से शुरू होकर मध्य मई तक चला। अब जाकर इन दवाओं की खरीद में कमी आई है। उन्होंने बताया कि इन सभी दवाओं की मांग के मुकाबले आपूर्ति दोगुनी है। इसलिए मांग बढ़ने के बावजूद दवा की किल्लत नहीं हुई।