द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 20 फरवरी को

उदय दिनमान डेस्कःहिंदी पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। साथ ही शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी पड़ती है। इस वर्ष फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 20 फरवरी को है। इस चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। यह दिन भगवान श्रीगणेश जी को समर्पित होता है। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा-उपासना की जाती है।

सनातन शास्त्रों में लिखा है कि विघ्नहर्ता के नाम मात्र स्मरण से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। स्वंय भगवान ब्रह्मा जी ने संकष्टी चतुर्थी व्रत की महत्ता को बताया है। ऐसे में इस व्रत का अति विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से गणपति जी की पूजा करने वाले साधकों के सभी दुःख, दर्द और क्लेश दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति के जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि का आगमन होता है।

हिंदी पंचांग के अनुसार, द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की तिथि 19 फरवरी को रात्रि में 9 बजकर 56 मिनट पर शुरु होकर अगले दिन 20 फरवरी की रात्रि में 9 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अत: 20 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। साधक दिन में किसी समय भगवान गणेश जी की पूजा कर सकते हैं। हालांकि, शास्त्रानुसार, प्रात:काल के समय में पूजा करना उत्तम होता है।

इस दिन ब्रह्म बेला में उठें। इसके बाद नित्य कर्म से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें। अब सर्वप्रथम आमचन कर भगवान गणेश के निम्मित व्रत संकल्प लें और भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, भगवान गणेश जी की षोडशोपचार पूजा फल, फूल, धूप-दीप, दूर्वा, चंदन, तंदुल आदि से करें।

भगवान गणेश जी को पीला पुष्प और मोदक अति प्रिय है। अतः उन्हें पीले पुष्प और मोदक अवश्य भेंट करें। अंत में आरती और प्रदक्षिणा कर उनसे सुख, समृद्धि और शांति की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना के बाद फलाहार करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *