बेटियों को मुखाग्नि देते देख हर आंख हुई नम

बरेली। कोरोना महामारी के दौर में मौत का मंजर देखा नहीं जा रहा। मंगलवार को अलवर शहर के तीजकी श्मशान घाट पर एक बेटी अपनी मां की चिता को अग्नि दे रही थी। तभी रूह कंपा देने वाली सूचना मिली कि पिता की भी मौत हो गई। बेटियों काे मां-पिता को अग्नि देते देखा ताे सबकी आंख भर आई।

माता पिता की काफी समय से तबीयत खराब चल रही थी। वह बरेली में रहते थे। घर में कोई ध्यान रखने वाला न था तो बेटियों ने उन्हें अलवर ले जाकर एक अस्पताल में भर्ती कराया। वहां उनका इलाज चल रहा था। कोरोना के चलते मां की मौत हो गई। मौके पर भाई के न होने पर बेटी ने ही मां को मुखाग्नि दी। बेटी चिता को मुखाग्नि दे ही रही थी कि खबर मिली कि अस्पताल में इलाजरत पिता की भी मौत हो गई है।

बरेली निवासी राजेन्द्र कुमार कई दिन पहले से अलवर के निजी अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें लीवर की बीमारी थी। उसी बीच उनकी 70 वर्षीय पत्नी सुमन की भी तबीयत बिगड़ गई। जिनकी दो बेटियां हैं। वो कहीं दूर रहती थी। उन्होंने ही मां-पिता को अलवर के अस्पताल में भर्ती कराया। कई दिन से यहां इलाज चल रहा था। बेटियां ही देखरेख में लगी थी। मंगलवार दोपहर करीब 1 बजे मां की मौत हो गई। दोपहर करीब दो बजे जब बेटी सगुन अपनी मां की चिता को मुखाग्नि दे रही थी।

उसी समय अस्पताल से उनके पास फोन आ गया कि पिता का भी निधन हो गया है। बेटी के कांपते हाथों ने मां का अंतिम संस्कार किया। पिता को दूसरी बेटी ने मुखाग्नि दी। यह दृश्य देखकर श्मशान घाट पर कोरोना के मृतकों का अंतिम संस्कार कराने वाली नगर परिषद की टीम के सदस्यों की भी आंखें नम हो गई।

 

मृतक दंपती का बेटा अमेरिका में नौकरी करता है। कोरोना के चलते वह माता-पिता के बीमार होने पर भी नहीं आ सका।बेटियों ने ही माता-पिता को संभाला। अस्पताल में भर्ती कराया। इस बीच मंगलवार को दोनों की मौत हो गई। इतने बड़े हादसे में भी बेटियों ने हिम्मत दिखाते हुए अंतिम फर्ज पूरा किया।

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