उदय दिनमान डेस्कः आप मानो या ना मानो लेकिन यह सत्य है कि आज भी परियां इस पर्वत पर वास करती हैं और नित्य यहां गीत,संगीत और नृत्य का आयोजन होता है। खूबसूरत इस परियों के देश में पहुंचने के लिए आपको उत्तराखंड आना होगा।बता दें कि ऐसे पर्वत पर जिसे परियों का देश कहा जाता है समुन्द्र्तल से दस हज़ार फीट की ऊंचाई पर मौजूद है गुंबद के आकार का ये रहस्यमयी पर्वत,जिसे खैट पर्वत के नाम से जाना जाता है. उत्तराखंड के टिहरी जिले में मौजूद ये पर्वत अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं कहते हैं इस पर्वत पर आज भी अप्सरायें आती हैं और अपने सखियों के साथ, खेलती हैं ,नृत्य करती हैं और पुरे पर्वत पर घुमती हैं.
उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में स्थित यह खैट पर्वत आपको जन्नत की सैर करता है। यहां लोगों को अचानक ही कहीं परियों के दर्शन हो जाते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि परियां आस-पास के गांवों की रक्षा करती हैं। किस्सों की दुनिया से आगे निकलते हुए यह एक ऐसी जगह है, जहां आज भी लोग परियों और वनदेवियों को देखने का दावा करते हैं।जानकारी के मुताबिक, अमेरिका की मैसास्युसेट्स यूनिवर्सिटी ने शोध भी किया है। उसमे पाया गया कि वहां कुछ अद्भुत शक्तियां हैं जो वहां जाने वाले लोगों को अपनी ओर खींचती हैं। खैटखाल नाम का एक मंदिर है जिसे यहां के रहस्यों का केन्द्र माना जाता है। यहां परियों की पूजा होती है और जून के महीने में मेला लगता है।
कहा जाता है कि, परियों को चटकीला रंग, शोर और तेज संगीत पसंद नहीं है। यहां एक जीतू नाम के व्यक्ति की कहानी भी काफी चर्चित है। कहते हैं जीतू की बांसुरी की तान पर आकर्षित होकर परियां उसके सामने आ गईं और उसे अपने साथ ले गईं।कहा जाता है कि इस पर्वत पर नौ देवियां रहती हैं जिन्हें आंछरियां कहा जाता है। लोग उन्हें ही परियां मानते हैं। लोग मानते हैं कि यहां आकर जो लोग शोर करते हैं परियां उन्हें मूर्छित कर देती हैं और अपने साथ ले जाती हैं।
यहां एक रहस्यमयी गुफा भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसके आदि अंत का पता नहीं चल पाया है। जो भी है यहां रहस्य और रोमांच का अद्भुत संगम है। अगर रोमांच चाहते हैं तो एक बार जरूर यहां की सैर कर आएं।स्थानीय भाषा में इन अप्सराओं को वन देवियाँ या आछरी-मांतरी कहते हैं । इस जगह पर अजीब सी शक्तियां रहती है जिसका अनुभव यहाँ आने वाले लोगों को जरुर होता है । इन अप्सराओं के बारे में कहा जाता है अगर इनके मन को एक बार जो पसंद आ जाता है ये उसे बेहोश कर अपने साथ अपने परीलोक ले जाती हैं.
इस खैट पर्वत पर आज भी परियों के आने के निशान मिलते हैं इस पर्वत की 9 पर्वत श्रंखलाओं पर 9 परियों का वास माना जाता है जो आपस में बहनें हैं. ये 9 बहनें आज भी अदृश्य शक्ति के रूप में इन पर्वतों पर रहती है इसका साक्षात प्रमाण तब मिलता है जब यहाँ की वादियों में जीवन के होने का अहसास होता है.हैरत तब होती है किसी के यहाँ न होने के बाद भी यहाँ की वीरान वादियों में अखरोट और लहसुन की खेती खुद होती है. यहाँ अनाज को कूटने वाली ओंखाल दीवारों पर गड़ी है.इन वादियों में कई तरह की फसलें होती है जो सिर्फ यहीं तक खाने योग्य होती है अगर इनको इस परिसर से बहार ले जाये तो ये ख़राब हो जाती हैं.यही वजह है यहाँ लोग इन अप्सराओं को वनदेवियाँ के रूप में खुश रखने के लिए,समय समय पर यहाँ आकर पूजते है.
इस पर्वत पर मखमली घास से ढका एक खुबसूरत मैदान है जहां ये परियां चांदनी रात में सखियों संग नृत्यकला का प्रदर्शन करती हैं इस पर्वत पर माँ बराड़ी का मंदिर है जिसकी गर्भ गुफा की न तो शुरुआत और ना ही अंत माना जाता है कहा जाता है इसी गर्भ गुफा में ये परियां खेलती हैं और अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन करती हैं.यहाँ भूलभुलैया गुफा भी है जिसके अन्दर नाग की कई आकृतियाँ उभरी हुई है.
इसके अलावा यहाँ चारो तरफ अजीब सी खुशबू महकती है जो नैर-थुनैर के पेड़ो की पत्तियों से निकलती है यहाँ इन बुग्यालों में चिल्लाना, चटक कपडे पहनना, बेवजह वाद यंत्र बजाना और प्रकृति के विपरीत कोई भी काम करना पूरी तरह से मना है अगर आपने ऐसा कुछ किया तो ये वनदेवियाँ आपसे नाराज़ हो सकती हैं.उत्तराखंड में ऐसे कई अन्य पहाड़ भी है जहां भी परियों के आने की बात लोग करते हैं। हालांकि इस रहस्यमयी दुनिया के बारे में हम नहीं बल्कि स्थानीय लोग बताते हैं।