हुंजा गांव: यहां रहती हैं दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाएं!

यहां के आदिवासियों के पास है चिरयुवा बने रहने का राज

उदय दिनमान डेस्कः दुनिया की सबसे खूबसूरत लोग यहां रहते हैं और यहां के लोगों की औसत आयु 120 वर्ष है और दिलचस्प ये है कि इनकी लंबी आयु बिना किसी बाहरी मेडिसिन, इलाज या खान-पान के है. यही नहीं यहां के लोग 60 वर्ष की आयु तक युवा बने रहते हैं और मरते दम तक बीमारियों से दूर रहते है.दुनिया में बहुत सी जनजातियां पाई जाती हैं. ऐसी ही एक जनजाति हुंजा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में गिलगित-बाल्टिस्तान के पहाड़ों स्थित हुंजा घाटी में पाई जाती है. हुंजा भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा के पास पड़ता है. इस गांव को युवाओं का नखलिस्तान भी कहा जाता है. हुंजा गांव के लोगों की औसत उम्र 110-120 साल है. इस जनजाति की खास बात यह है कि यहां के लोग बहुत खूबसूरत और जवान-जवान से दिखते हैं. खासकर औरतें, जो कि 65 साल तक जवान रहती हैं और वे इस उम्र में भी तक संतान को जन्म दे सकती हैं.

सुनने में अजीब लगता है कि भूख लगे तो अखरोट, अंजीर, खूबानी खाइए, प्यास लगे तो नदी का पानी पी लीजिए, हलकी-फुलकी बीमारी हो तो वहीं आसपास लगी जड़ी बूटियों से इलाज कीजिए, कहीं जाना हो तो मीलों पैदल चलिए और 120 साल का स्वस्थ जीवन गुजारिए. आम तौर पर उम्र बढ़ने के साथ शहरों में रहने वाले लोगों की दवाओं की खुराक बढ़ने लगती है, लेकिन कश्मीर में हुंजा घाटी एक ऐसी जगह है, जहां के लोगों को यह पता ही नहीं, कि दवा आखिर होती क्या है. यहां के लोग आम तौर पर 120 साल या उससे ज्यादा जिंदा रहते हैं और महिलाएं 65 साल की उम्र तक गर्भ धारण कर सकती हैं.

इस जनजाति के बारे में पहली बार डॉ. रॉबर्ट मैक्कैरिसन ने ‘पब्लिकेशन स्टडीज इन डेफिशिएन्सी डिजीज’ में लिखा था. इसके बाद ‘जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन’ में एक लेख प्रकाशित हुआ, जिसमें इस प्रजाति के जीवनकाल और इतने लंबे समय तक स्वस्थ बने रहने के बारे में बताया गया था. लेख के अनुसार, यहां के लोग शून्य से भी कम तापमान में ठंडे पानी में नहाते हैं. कम खाना और ज्यादा टहलना इनकी जीवन शैली है. दुनिया भर के डॉक्टरों ने भी ये माना है कि इनकी जीवनशैली ही इनकी लंबी आयु का राज है. ये लोग सुबह जल्दी उठते हैं और बहुत पैदल चलते हैं.

इस घाटी और यहां के लोगों के बारे में जानकारी मिलने के बाद डॉ. जे मिल्टन हॉफमैन ने हुंजा लोगों के दीर्घायु होने का राज पता करने के लिए हुंजा घाटी की यात्रा की. उनके निष्कर्ष 1968 में आई किताब ‘हुंजा- सीक्रेट्स ऑफ द वर्ल्ड्स हेल्दिएस्ट एंड ओल्डेस्ट लिविंग पीपल’ में प्रकाशित हुए थे. इस किताब को सिर्फ हुंजा की जीवन शैली के साथ साथ स्वस्थ जीवन के रहस्यों को उजागर करने की दिशा में एक मील का पत्थर माना जाता है.सिकंदर को अपना वंशज मानने वाले हुंजा जनजाति के लोगों की अंदरूनी और बाहरी तंदरूस्ती का राज यहां की आबोहवा है. यहां न तो गाड़ियों का धुआं है न प्रदूषित पानी. लोग खूब मेहनत करते हैं और खूब पैदल चलते हैं, जिसका नतीजा यह है कि तकरीबन 60 साल तक जवान बने रहते हैं और मरते दम तक बीमारियों से बचे रहते हैं.

हुंजा गांव हिमालय की पर्वतमाला पर स्थित हैं. इसे दुनिया की छत के नाम से भी जाना जाता है. यह भारत के उत्तरी छोर पर स्थित है जहां से आगे पर भारत, पाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान की सीमाएं मिलती है.हुंजा जनजाति की जनसंख्या लगभग 87 हजार है. यह जनजाति और उनकी जीवन शैली सैकड़ों साल पुरानी लगती है. हुंजा जनजाति के लोग बिना किसी समस्या के कई सालों तक जीवित रहते हैं. कहते हैं इनमें से कई लोग तो 165 साल तक जिंदा रहते हैं. हुंजा जनजाति की खास बात यह है कि यहां के लोग बहुत कम बीमार पड़ते है. ट्यूमर जैसी बीमारी का तो उन्होंने कभी नाम भी नहीं सुना.

इन लोगों को देखकर आप ये अंदाजा लगा सकते हैं कि खानपान और अच्छी जीवन शैली लोगों के जीवन को प्रभावित करती है. हुंजा के लोग खूब खुमानी खाते हैं. कुछ लोग इन लोगों को किसी यूरोपीय नस्ल से जोड़ते हैं. वास्तव में यहाँ के लोग गोरे-चिट्टे, जवान, हंसमुख और आसपास की आबादी के बिल्कुल अलग दिखते हैं.हुंजा के लोग शून्य के भी नीचे के तापमान पर बर्फ के ठंडे पानी में नहाते हैं. ये लोग वही खाना खाते हैं जो ये खुद उगाते हैं जैसे कि खुमानी, मेवे, सब्जियां और अनाज में जौ, बाजरा और कूटू. ये कम खाते हैं और पैदल ज्यादा चलते हैं. रोजाना 15 से 20 किलोमीटर तक चलना और टहलना उनकी जीवन शैली में शामिल होता है. साथ ही साथ हँसना भी उनकी जीवन शैली का हिस्सा है।

 

हुन्ज़ा घाटी पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के हुन्ज़ा-नगर ज़िले मे स्थित एक घाटी है। यह गिलगित से उत्तर में नगर वादी के समीप रेशम मार्ग पर स्थित है। इसमें कई छोटी छोटी बस्तीयों का जमावड़ा है। सब से बड़ी बस्ती करीमाबाद है, हालांकि इसका मूल नाम “बलतित” था। घाटी से राकापोशी का नज़ारा बहुत सुंदर है। यहाँ के मुख्य व्यवसाय पाकिस्तानी सेना और पर्यटन से सम्बन्धित है। वादी से हुन्ज़ा नदी गुज़रती है। स्थानीय लोग बुरुशस्की बोलते है। बलतित क़िला देखने की जगह है।

यहाँ के लोग विश्व में अपनी सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध हैं। यह भी कहा जाता है कि यहाँ के लोग लम्बी आयु जीते हैं। इसके अतिरिक्त उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। स्त्रियाँ साठ साल की आयु में भी माँ बन सकती हैं। अच्छे स्वास्थ्य और लम्बी आयु का कारण यह बताया गया है कि लोग हर दिन कम से कम ४ किलोमीटर पैदल चलते हैं। मधु, बादाम, अखरोट, आदि प्राकृतिक वरदान समझी जाने वाली चीज़ें यहाँ के लोग अधिक मात्रा में खाते हैं, जिससे उनके शरीर को प्राकृतिक शक्ति मिलती है तथा यह लोग अधिकांश रूप से रोग-मुक्त रहते हैं।

नार्थ पाकिस्तान के काराकोरम माउंटेन्स पर रहने वाले हुन्जकूटस या हुंजा लोग बुरूषो समुदाय के लोग हैं जो हुंजा वैली में रहते हैं। ये लोग कभी बीमार नहीं पड़ते। हुंजा लोगों की गिनती चाहे कम है, लेकिन इन्हें दुनिया के सबसे लम्बी उम्र वाले, खुश रहने वाले और स्वस्थ लोगों में गिना जाता है। हुंजा लोगों को दुनिया के कैंसर फ्री पापुलेशन में गिना जाता है क्योंकि आजतक एक भी हुंजा कैंसर का शिकार नहीं हुआ है। इन लोगों ने कभी कैंसर का नाम भी नहीं सुना है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि हुंजा महिलाएं 65 की उम्र में भी बच्चे पैदा कर सकती है। इस कम्युनिटी के लोगों को बुरुशो भी कहते हैं। इनकी भाषा बुरुशास्की है। कहा जाता है कि ये कम्युनिटी अलेक्जेंटडर द ग्रेट की सेना के वंशज हैं, जो चौथी सदी में यहां आए थे। ये कम्युनिटी पूरी तरह मुस्लिम है। इनकी सारी एक्टिविटीज मुस्लमानों जैसी ही हैं। ये कम्युनिटी पाकिस्तान की बाकी कम्युनिटीयों से कहीं ज्यादा एजुकेटेड है। हुंजा घाटी में इनकी पॉपुलेशन करीब 87 हजार ही है।

हुंजा अपनी लम्बी उम्र का क्रेडिट अपने डाइट को देते हैं। इनके डाइट चार्ट मेंव सिर्फ पौष्टिक आहार शामिल होते हैं। रिसर्चर्स ने अपनी रिपोर्ट में ये कहा है कि हुंजा लोग खाने में ज्यादा से ज्यादा अखरोट का इस्तेमाल करते हैं। धूप में सुखाए गए अखरोट में B-17 कंपाउंड पाया जाता है, जो लोगों के शरीर के अंदर मौजूद एंटी-कैंसर एजेंट को खत्म करता है। चूंकि, हुंजा काफी ज्यादा अखरोट का सेवन करते हैं, इसलिए उन्हें कैंसर नहीं होता और लोगों के मुकाबले हुंजा लोगों की डाइट काफी ज्यादा होती है। इसमें कच्ची सब्जियां, फल , अनाज, बारले, मेवे के अलावा दूध, अंडा और चीज भी शामिल हैं।

हुंजा लोग साल के 2 से 3 महीने खाना नहीं खाते हैं। इस दौरान वो सिर्फ जूस लेते हैं। थोड़ा सा खाने के बाद ये लोग वॉक पर निकल जाते हैं। इनकी औसत उम्र 120 साल है, जिसमें ये 70 साल तक जवान दिखते हैं।बात 1984 की है। हुंजा कम्युनिटी के अब्दुल म्बुंदु जब लंदन एयरपोर्ट पर सिक्यूरिटी चेक करवाने पहुंचे, तो ऑफिसर्स उनका बर्थ इयर 1832 देखकर हैरान रह गए। उन्होंने कई बार उनकी उम्र क्रॉसचेक की। इसके बाद से ही हुंजा लोगों का किस्सा मशहूर हो गया।

 

 

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