भारत की कोवैक्सीन जगा रही दुनिया में उम्मीद

नई दिल्ली. भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) की तारीफ बृहस्पतिवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीफ साइंटिस्ट ने की है. डॉ. सौम्या स्वामीनाथन (Soumya Swaminathan) ने कहा है कि कोवैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल डेटा अच्छे हैं.

चीफ साइंटिस्ट की तरफ से मुहर के बाद अब कोवैक्सीन को WHO का अप्रूवल मिलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं. वैक्सीन की उपलब्धता के लिए बने वैश्निक संगठन GAVI पर प्रकाशित एक लेख में कोवैक्सीन को उम्मीद जगाने वाली वैक्सीन बताया गया है.

गावी की वेबसाइट पर प्रकाशित इस लेख में कोवैक्सीन को हाई-एफिकेसी रेट वाली वैक्सीन बताया गया है. साथ ही लेख यह भी स्पष्ट करता है कि कोवैक्सीन से वैक्सीनेशन के बाद बुखार और शरीर दर्द जैसे सामान्य लक्षण उभरते हैं. इससे कोई गंभीर साइड इफेक्ट अभी तक नहीं देखा गया है. भारत के अलावा 15 देशों में कोवैक्सीन को इमरजेंसी यूज अप्रूवल मिल चुका है. इनमें जिंबाब्वे, ईरान, मेक्सिको, फिलपिन्स, ग्वातेमाला और बोत्सवाना जैसे देश शामिल हैं.

लेख कहता है कि कोवैक्सीन पारंपरिक तरीके से बनी है. यानी, इसमें डेड वायरस को शरीर के अंदर डाला जाता है, जिससे शरीर वायरस को पहचानता है और उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है. इसे इनैक्टिवेटेड होल वायरस ( inactivated whole virus vaccine) वैक्सीन कहा जाता है.

गावी कम और मध्यम आय वाले देशों को वैक्सीन मुहैया कराने के लिए पब्लिक-प्राइवेट ग्लोबल हेल्थ पार्टनरशिप है. यह तय करता है कि दुनियाभर में वैक्सीन कार्यक्रम अमीर देशों के अलावा गरीब और मध्यम आय वाले देशों तक भी पहुंचे.

मई में भारत बायोटेक ने इमरजेंसी यूज लिस्टिंग के लिए WHO के पास आवेदन दिया था. कहा गया था कि वैक्सीन को जुलाई-सितंबर तक सूची में शामिल किया जा सकता है. 23 जून को WHO और भारत बायोटेक के बीच एक प्री-सबमिशन मीटिंग हुई.

एक बार भारत बायोटेक कोवैक्सीन के फेज-3 ट्रायल का पूरा डेटा जमा कर देता है, तो डोजियर पूरा हो जाएगा और फिर संगठन इसकी समीक्षा करेगा. कंपनी को उम्मीद है कि कोवैक्सीन की EULआवेदन की समीक्षा प्रक्रिया एफिकेसी स्टडी डेटा के जमा किए जाने के बाद जुलाई में शुरू हो जाएगी.

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