जेपी मैठाणी ने लिखी स्वरोजगार की नई इबारत

पीपलकोटी में की राज्य के पहले बायोटूरिज्म पार्क की स्थापना

उदय दिनमान डेस्कः पत्रकार, चिंतक, आंदोलनकारी और इससे हटकर विशुद्ध समाजसेवी जगदम्बा प्रसाद मैठाणी (जेपी) चमोली जिले स्थित बद्रीनाथ मार्ग पर पीपलकोट में कुटीर उद्योग, स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र और बायोटूरिज्म पार्क की स्थापना कर सैकड़ों लोगों को परोक्ष एवम् अपरोक्ष रूप से रोजगार प्राप्त हो रहा है।

चमोली के पीपलकोटी निवासी जगदम्बा प्रसाद मैठाणी ने पीपलकोटी में स्वरोजगार पैदा किया, लोगो को बहुत कुछ दिया और साथ-साथ पर्यावरण की भी सुरक्षा की गारंटी ली। जगदम्बा प्रसाद मैठाणी के पिछले 23 सालो के कार्य।

बता दें कि इन्हें लोग जेपी मैठाणी नाम से ही अधिक जानते है। श्री मैठाणी चमोली जनपद के पीपलकोटी में पिछले 23 वर्षों में समाज कल्याण के कार्यों में लगे हुए हैं। उच्च शिक्षित जेपी मैठाणी को सरकारी सेवा के कई बार मौके मिले, मगर उन्हें जनकल्याणकारी कार्यों के साथ साथ जनमुद्दो पर मुखर होना था। कारण इसके कई बार उन्हें सत्ता की प्रताड़ना झेलनी पड़ी।

जेपी मैठाणी ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने एक तरफ स्वरोजगार के रास्ते खोले और दूसरी तरफ जनमुद्दों पर मुखर आवाज बुलंद की है। उन्होंने यह निर्णय लिया है कि वह अपने कार्य क्षेत्र में कभी भी शराब की दुकान नहीं खोलने देंगे। इसीलिए उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र पीपलकोटी में महिला एवं युवा स्वरोजगार पर केंद्रित कार्यक्रम आयोजित किए। 23 सालों के अंतराल में 100 से अधिक लोग परोक्ष रूप से जेपी मैठाणी के मार्गदर्शन में स्वाबलंबी हो चुके हैं।

स्थानीय संसाधन आधारित स्वरोजगार को मूल मंत्र मानने वाले निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे जगदम्बा प्रसाद मैठाणी वर्ष 1997 से अपने मूल स्थान पीपलकोटी और उसके आसपास स्वरोजगार के नवाचारी प्रयासों के लिए लगातार समर्पित हैं। समाज कार्यों के आरंभ में एडवेंचर और इकोटूरिज्म को लेकर कार्य किया।

बस यहीं से स्वरोजगार के द्वार खुलने आरंभ हुए और श्री मैठाणी ने स्वरोजगार के स्थानीय संसाधन जैसे- जैविक उत्पाद, हस्तशिल्प, जड़ी-बूटी की खेती और फल तथा उद्यानिकी को अपने महत्वपूर्ण कार्यों का हिस्सा बनाया। फलस्वरूप इसके उन्होंने पीपलकोटी में ही उद्यानिकी, बायोटूरिज्म, जैविक खेती, जड़ी-बूटी की खेती, फलदार, चारा और सजावटी पेड़-पौधों की नर्सरी जैसे कार्य स्थानीय युवाओं, महिला मंगल दलों के साथ मिलकर आरंभ किए।

5 दिसम्बर 1997 को उन्होंने सोसायटी फॉर कम्यूनिटी इन्वॉल्वमेन्ट इन डेवलपमेन्ट (एसएफसीआईडी) के नाम से एक सामाजिक संस्था का गठन किया।वर्ष 1999 के मार्च माह में आए भूकम्प के दौरान भी उन्होंने राहत के बेहद असरदार सेवा कार्य किए है। बता दें कि जो कार्य श्री मैठाणी ने आरंभ किये थे उनके लिए फिर संसाधनों की आवश्यकता होने लगी। जेपी ने सरकारी एवम् गैर सरकारी मदद के लिए स्वयम के संपर्क को इस्तेमाल किया। इस तरह पीपलकोटी चमोली में राज्य के पहले बायोटूरिज्म पार्क की स्थापना कर डाली।

इधर उन्हे पीपलकोटी की तत्कालीन ग्राम प्रधान स्व. श्रीमती नंदी वर्मा, स्व श्री कैलाश लाल साह, स्व. श्री अब्बल सिंह तड़ियाल और उनकी टीम के सदस्यों ने समय-समय पर नैतिक सहयोग दिया है। वर्तमान में इस बायोटूरिज्म पार्क से कई स्थानीय युवाओं और महिलाओं को अलग-अलग प्रकार के रोजगार प्राप्त हो रहे हैं। यहां स्थानीय लोग रिंगाल हस्तशिल्प, प्राकृतिक रेशा- भांग, कंडाली और भीमल आधारित स्वरोजगार, नर्सरी, फल संरक्षण, ट्रैकिंग-टूर आदि के कार्यो से अपने लिए रोजगार कमाते है।

हालांकि बाद में सोशियल आर्मी (गांव-गांव में सामाजिक कार्य हेतु गठित युवाओं के समूह) और क्षेत्र के महिला मंगल दलों के साथ चलाये गये शराब विरोधी आंदोलन के चलते उन्हें कुछ सफेद पोश व्हाइट कॉलर बुद्धिजीवियों के द्वारा किये गये षडयंत्र की वजह से जनपद चमोली के शराब विरोधी आंदोलन में फंसा दिया गया और उन्हें 22 दिन जेल में रहना पड़ा।

वे निर्दोष थे इसीलिए जेपी को समय पर न्याय मिला और निर्दोष साबित हुए। तब जेपी ने संकल्प लिया कि पीपलकोटी में कभी भी शराब की दुकान नहीं खोलने देंगे। क्षेत्र के लोगो का दुलारा श्री मैठाणी कहां पीछे रहने वाला था। ग्रामीण जन सहयोग से उन्होंने आगाज फैडरेशन के नाम से नया आगाज किया। जिसे अलकनन्दा घाटी शिल्पी फैडरेशन भी कह सकते है।

स्थानीय स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए पिछले 23 वर्षों से पर्यटन, तीर्थाटन, जड़ी-बूटी खेती, स्थानीय परंपरागत फसलों का संरक्षण एवं खेती, उद्यानिकी के क्षेत्र में पीपलकोटी में सर्वाधिक प्रजाति के अखरोट, हैजलनट, पीकन नट, चेस्टनट, आड़ू, पोलम, कीवी, खुमानी, परसीमन का जीन बैंक बायोटूरिज्म पार्क में स्थापित किया गया है। जहां 60 से अधिक युवा स्वरोजगार की नई इबारत लिख रहे है।

पीपल कोटी केंद्र में Uttarakhand Bamboo and Fiber Development Board – UBFDB के सहयोग से 19 मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षित किये गए जो आज विभिन्न विभागों और एजेन्सियों में प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार कमा रहे है। पीछले वर्ष पीपलकोटी में रिंगाल काष्ठ हस्तशिल्प ग्रोथ सेन्टर की स्थापना की गयी और इसका लोकार्पण 9 नवम्बर 2020 को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने किया। आज इस ग्रोथ सेन्टर से 200 से अधिक अलग-अलग शिल्प कलाओं के हस्तशिल्पी जुड़े हुए हैं।

पूर्व में डांस कंडाली आधारित परियोजना संचालित की गई, जिसमें जनपद चमोली के 100 से अधिक बुनकर तथा रेशा उत्पादक जुड़े हुए है, जो स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे हैं। पीपलकोटी में ही वर्ष 2005-06 में सबसे पहले औद्योगिक भांग आधारित स्वरोजगार का कार्य प्रारंभ हुआ, बाद में नंदप्रयाग घाट रोड पर स्थित मंगरोली में नंदाकिनी स्वायत्त सहकारिता से जुड़ी 26 से अधिक महिलायें औद्योगिक भांग और डांस कंडाली का कुटीर उद्योग का कार्य स्वतंत्र रूप से कर रही है।

श्री मैठाणी बताते हैं कि इकोटूरिज्म का सीधा-सीधा सम्बन्ध हमारी इकोलॉजी, पर्यावरण और इकोनॉमी से जुड़ी हुई है। इसलिए यह माना जाए कि इकोलॉजी या इकोनॉमी बाद में आती है, पहले बायोम है यानी जीवन का प्रादुर्भाव और प्रकृति से अंतर्सम्बन्ध। इसी मूल आधार को ध्यान में रखते हुए पीपलकोटी में प्रदेश के पहले बायोटूरिज्म पार्क की स्थापना की गयी, जहां से आज तक सैकड़ों युवाओं, किसानों को प्रशिक्षित किया गया है।

वर्तमान में पीपलकोटी केंद्र पर 400 से अधिक किसान परिवारों को कुटकी, कपूर कचरी, क्वीराल, वरूणा, लोध्रा की खेती का प्रोत्साहन दिया जा रहा है। कंडाली की चाय, रोजहिप टी, ऑरेंज पील, स्थानीय दालें एवं अनाज, मंडुवा, झंगोरा, राजमा, चैलाई आदि के उत्पादों के विपणन में कई परिवारों को रोजगार दिया गया है।

इसके साथ साथ 25 युवाओं को नेचर गाइड, मधुमक्खी पालन और ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रोत्साहित कर उन्हें स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार देने का प्रयास किया जा रहा है। अलावा इसके जनपद चमोली में 10 से अधिक होम स्टे स्थापित किये गये जिन्हें स्वतंत्र रूप से उनके स्वामी स्वयं चला रहे हैं। इधर पीपलकोटी के आसपास के 6 ट्रैकिंग रूट विकसित किये जा रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार प्रेम पंचोली की फेसबुक वाल से साभार

मूल आलेख यहां पढ़ें-Facebook

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