जोशीमठ । बीते नौ वर्षों से चली आ रही परंपरा को कायम रखते हुए ब्रज से अबीर-गुलाल लेकर श्रीकृष्ण भक्त अजय तिवारी जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर पहुंचे। यह अबीर-गुलाल उन्होंने भगवान बदरीनाथ व भगवान नृसिंह को भेंट किया। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के माध्यम से ब्रज का अबीर-गुलाल पांडुकेश्वर स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर भी पहुंचाया जाएगा।
श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संस्थान के पुजारी सत्यपति ने इस बार भी भगवान बदरीनाथ और भगवान नृसिंह को एक दिन के लिए अपना स्थान छोड़कर होली खेलने आने का निमंत्रण दिया है। अबीर-गुलाल के साथ यह निमंत्रण लेकर श्रीकृष्ण भक्त अजय तिवारी शनिवार को जोशीमठ पहुंचे।
इस दौरान नृसिंह मंदिर में पुजारी सुशील डिमरी ने वेद मंत्रों से भगवान नृसिंह की विशेष पूजा-अर्चना की और उन्हें भक्त अजय तिवारी का लाया अबीर-गुलाल भेंट किया।
श्रीकृष्ण भक्त अजय तिवारी भगवान नृसिंह व भगवान बदरीनाथ अबीर-गुलाल भेंट करने बीते नौ वर्षों से लगातार जोशीमठ आ रहे हैं। बताया कि अब तक वह 104 बार भगवान बदरी नारायण के दर्शन कर चुके हैं। इस कार्य को करने से उन्होंने आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है। इसलिए मौका मिलते ही वह बदरीनाथ धाम व नृसिंह मंदिर चले आते हैं।
उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता। यहां के कण-कण में देवों का वास है। चारधाम (बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) यहीं स्थित हैं। इसके अलावा भी यहां कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। चारधाम यात्रा के दौरान लाखों की संख्या में तीर्थयात्री हर साल उत्तराखंड पहुंचते हैं।
मान्यता है कि यहां भगवान शंकर पांडवों की भक्ति, दृढ संकल्प देखकर प्रसन्न हुए थे। उन्होंने दर्शन देकर पांडवों को पाप मुक्त कर दिया। उसी समय से भगवान शंकर बैल की पीठ की आकृति के रूप में केदारनाथ में पूजे जाते हैं।
बदरीनाथ मंदिर को बदरीनारायण मंदिर भी कहते हैं। इस मंदिर में नर-नारायण विग्रह की पूजा होती है। यहां अखंड दीप जलता है, जो अचल ज्ञानज्योति का प्रतीक है। मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु छह माह निद्रा में रहते हैं और छह माह जागते हैं।
गंगोत्री धाम उत्तरकाशी में स्थित है। मान्यता है कि भगवान राम के पूर्वज रघुकुल के चक्रवर्ती राजा भगीरथ ने यहां पर भगवान शंकर की तपस्या की थी। इसके बाद भी गंगा पृथ्वी पर आईं।
यमुनोत्री धाम चारधाम यात्रा का पहला पड़ाव है। यमुनोत्री मंदिर के मुख्य गृह में मां यमुना की काले संगमरमर की मूर्ति है। यमुना नदी सूर्य देव की पुत्री है और यम देवता की बहन है।