नवरात्रि: ऐसे करें कलश स्थापना

उदय दिनमान डेस्कः नवरात्रि का प्रारंभ आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से होता है। मां दुर्गा की आराधना का पावन पर्व नवरात्रि इस वर्ष 07 अक्टूबर से प्रारंभ हो रही है। प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के साथ नवरात्रि व्रत और मां दुर्गा की पूजा का संकल्प लिया जाता है।

07 अक्टूबर को नवरात्रि का प्रथम दिन है। इस दिन कलश स्थापना या घटस्थापना के साथ ही मां दुर्गा की पूजा प्रारंभ होती है। 07 अक्टूबर को आप अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना करें, यह सर्वोत्तम मुहूर्त होता है। अभिजित मुहूर्त दिन में 11:37 बजे से दोपहर 12:23 बजे तक है। इसके अलावा आप चाहें तो प्रात:काल में 6:54 बजे से सुबह 9:14 बजे के मध्य नवरात्रि कलश स्थापना करें।

नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए लाल रंग का आसन, मिट्टी का घड़ा या कलश, जौ, मिट्टी, मौली, कपूर, रोली, इलायची, लौंग, साबुत सुपारी, अक्षत्, अशोक या आम के पांच पत्ते, सिक्के, लाल चुनरी, सिंदूर, नारियल, फल-फूल, श्रृंगार पिटारी और फूलों की माला।

प्रातः स्नान करके शुभ साफ़ मिट्टी के द्वारा वेदी निर्माण कर सप्तधान (जौ) छींटकर जल से भरे हुए कलश में रक्षासूत्र (कलावा) बांधकर वैदिक मन्त्रों के द्वारा कलश स्थापन करना चाहिए। इसके बाद कलश में नारा, रोली, अक्षत्, पुष्प, सुपारी, पान एवं दक्षिणा डालकर पंचपल्लव रखकर उस पर पूर्णपात्र स्थापित कर जटादार जल भरे हुए नारियल को उस पर रखना चाहिए। फिर नवरात्रि के लिए नौदुर्गा का आवाहन एवं स्थापन करना चाहिए।

देवी स्तुति मंत्र:

1. सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्व शक्ति समन्विते।

भयेत्भयस्त्राहि नो देवि दुर्ग़े देवी नमोस्तुते।।

2. लक्ष्मी लज्जे महाविद्ये श्र्द्धे पुष्टिस्वधे ध्रुवे।

महारात्रि महालक्ष्मी नारायणी नमोस्तुते।।

ॐ वागिश्वरी महागौरी गणेश जननी शिवे।

विद्यां वाणिज्य बुद्धीं देहि में परमेश्वरी।।

यह नवरात्रि आठ दिन का ही है। षष्ठी तिथि की हानि होने के कारण 8 दिन का शारदीय नवरात्र शुभ नहीं माना गया है। नौ रात्रि पूर्ण होने पर ही शुद्ध नवरात्रि की शास्त्र में मान्यता बताई गई है-“ नवानां रात्रिनां समाहर:इति नवरात्र:।।”

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