चारधाम यात्रा की तैयारियां अधूरी, यात्रियों की फजीहत

ऋषिकेश। सप्ताह भर से बस की कमी और अव्यवस्थाओं से परेशान चारधाम यात्रियों का सब्र आखिरकार जवाब दे गया। रविवार को चारधाम यात्रा पर जाने से रोकने पर तीर्थयात्रियों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि अगर सरकार के यात्रा को लेकर पुख्ता इंतजाम नहीं थे तो चारधाम यात्रा शुरू नहीं करनी चाहिए थी।

रविवार को चारधाम यात्रा बस टर्मिनल कंपाउंड ऋषिकेश में महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, मध्यप्रदेश, राजस्थान आदि प्रांतों से आए तीर्थयात्रियों की भीड़ जुटी रही। इस दौरान यात्रियों को पता चला कि चारों धामों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया बंद है। यात्रा की बदइंतजामी से परेशान यात्रियों का पारा चढ़ गया।

फोटो पंजीकरण केंद्र के सामने एकत्रित होकर तीर्थयात्रियों ने उत्तराखंड सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। आंध्रप्रदेश से आयी महिला तीर्थयात्रियों ने कहा कि हजारों रुपये खर्च कर वह यहां पहुंचे हैं। लेकिन यहां उत्तराखंड सरकार के इंतजाम पुख्ता नहीं हैं। इस दौरान आक्रोशित तीर्थयात्रियों ने सांकेतिक जाम भी लगाया।

यात्रा के पहले ही दिन से पंजीकरण को लेकर गफलत की स्थिति बनी हुई है। केदारनाथ धाम में यात्रियों के रुकने के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं। धाम में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के बाद यदि उन्हें दूसरे स्थानों पर रोकना पड़ा, तो उनके रुकने का क्या इंतजाम होगा। इस पर अफसरों ने कभी ध्यान ही नहीं दिया।

अब जब ये सभी दिक्कतें एक साथ सामने आ गई हैं, तो सरकारी मशीनरी के हाथ पांव फूले हुए हैं। केदारनाथ धाम में रात में ठहरने के लिए सिर्फ पांच हजार लोगों की व्यवस्था है। इसके बाद भी इंतजाम नहीं बढ़ाए गए। यहां धाम में श्रद्धालुओं के आने की संख्या 13 हजार तय की गई है, जबकि श्रद्धालु 18 हजार के करीब आ रहे हैं।

धाम और यात्रा रुट पर कैसे क्राउड मैनेजमेंट किया जाएगा, इसकी भी कोई तैयारी नहीं की गई। सरकार ने तीर्थयात्रियों के पंजीकरण को अनिवार्य किया है, लेकिन इस पर अमल नहीं किया। बिना पंजीकरण के भी बड़ी संख्या में लोग आते चले गए। अब जब बिना पंजीकरण वालों को रोका जा रहा है, तो ऐसे लोगों के रुकने की कहां व्यवस्था होगी, इसका कोई इंतजाम नहीं है।

अब सरकार ने पोर्टल में ही पंजीकरण के लिए सीमित संख्या कर दी तो उन तीर्थयात्रियों की परेशानी बढ़ गई, जिन्होंने चारधाम पड़ाव पर पहले होटल या फिर हेली सेवा बुक कर दी थी। दूर-दराज के विभिन्न प्रांतों से आ रहे इन तीर्थयात्रियों को ऋषिकेश में ही रोका जा रहा है।ऋषिकेश समेत अन्य कई स्थानों पर श्रद्धालुओं को रोकने से हुए हंगामे की सूचना पर सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर रविवार को सीधे आईटी पार्क स्थित कंट्रोल रूम पहुंचे।

केदारनाथ धाम में श्रद्धालु खुले में सोने को मजबूर हैं। पांच हजार बेड क्षमता वाले केदारनाथ धाम में 18 हजार के करीब श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। यहां न तो प्रशासन, न पर्यटन विभाग ने बेड संख्या बढ़ाने का प्रयास किया। पूरा का पूरा दबाव जीएमवीएन के ऊपर डाला गया। जीएमवीएन ने भी अपनी बेड क्षमता को बढ़ा कर तीन हजार तक पहुंचाया। इसके बाद भी ये तमाम इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं।

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