सोशल मीडिया : हैकरों से ऐसे रहें शेफ

उदय दिनमान डेस्कः वर्तमान समय इंटरनेट का है, और इंटरनेट की दुनिया में एक से बढ़कर एक प्लेटफार्म आपके इस्तेमाल के लिए उपस्थित हैं। सच कहा जाए तो किसी आदमी का अब सर्वाधिक समय यही प्लेटफार्म लेते हैं।

वह चाहे सोशल मीडिया कह लें, चाहे कोई वेबसाइट कह लीजिए, चाहे कोई एप्लीकेशन कह लीजिए, आपका अधिक से अधिक समय अब इंटरनेट पर ही गुजर रहा है, और सिर्फ समय ही क्यों, तमाम जरूरी इंफॉर्मेशन भी आप इंटरनेट पर शेयर करते हैं।

वह चाहे सोशल मीडिया के माध्यम से आप की डेली की एक्टिविटीज हों, चाहे आप का ओपिनियन हो, चाहे फाइनेंसियल ट्रांजैक्शन हों, सॉन्ग सुनना – मूवी देखना हो, ऑनलाइन खरीदारी हो सब कुछ आप ऑनलाइन ही तो आज के समय में कर रहे हैं, और अगर कुछ लोग आज यह नहीं कर रहे हैं, या कम ऑनलाइन एक्टिविटी कर रहे हैं, तो आने वाले दिनों में उनकी ऑनलाइन एक्टिविटीज भी बहुत अधिक बढ़ जाएगी।

फेसबुक को ही आप उदाहरण के तौर पर लिजिय तो फेसबुक प्रोफाइल से जुड़े ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब किसी व्यक्ति की फेसबुक प्रोफाइल हैक कर ली गई हो, और उसकी प्राइवेट तस्वीरें ओपन अपलोड कर दी गई हों, वायरल कर दी गयी हों, या फिर उसके अकाउंट से, उसी व्यक्ति के तमाम कांटेक्ट में, तमाम लोगों को मैसेज भेज कर पैसे की डिमांड की गई है!

अधिकतर लोग पासवर्ड में अपने नाम के आगे 123 जोड़ लेते हैं, या अपनी डेट ऑफ बर्थ के आगे एबीसी जैसे कॉमन टर्म्स जोड़ लेते हैं या फिर अपनी पत्नी के नाम, अपनी गर्लफ्रेंड के नाम से पासवर्ड बना लेते हैं, और यह सारी चीजें बड़ी आसानी से हैकर्स द्वारा गेस कर ली जाती हैं, तो पासवर्ड आपको मजबूत डालना होगा।

इसमें कैपिटल लेटर, स्मॉल लेटर, स्पेशल वर्ड्स, जिनमें स्पेशल करैक्टर जैसे @#% इत्यादि आते हैं, उनको डालें, तो नंबर का भी प्रयोग अवश्य करें। कम से कम 10 लेटर या अधिक का पासवर्ड रखें। यह ध्यान रखने वाली महत्वपूर्ण बात है कि एक ही पासवर्ड आफ डिफरेंट अकाउंट में प्रयोग ना करें, तो ज्यादा बेहतर होगा।

ध्यान रखें कि ऐसे-ऐसे सॉफ्टवेयर से आ गए हैं, जो हैकर्स यूज करते हैं और पासवर्ड की प्रोबेबिलिटी फाइंड आउट करके आपके अकाउंट को हैक कर लेते हैं, तो आप पासवर्ड बेहतर डालें और उसे समय-समय पर चेंज भी करते रहें, छः से आठ महीने पर नियमित रूप से चेंज कर दें।

सबका नम्बर आएगा, के टैगलाइन से सजी इस सीरीज में स्पैमिंग के बारे में, फिशिंग के बारे में बड़ा क्लियर बताया गया है। बहुत मुमकिन है कि आपके पास भी कोई ऐसा मैसेज आया हो, जिसमें आपके द्वारा करोड़ों की लॉटरी जीतने का दावा किया गया हो, या ऐसा कहा गया हो कि विदेश में कोई व्यक्ति आपके नाम पर करोड़ों डॉलर छोड़ गया है और ऐसी अवस्था में आप इन पर भरोसा कर बैठते हैं।

कई बार आपको डराया जाता है कि अमुक बैंक से कॉल किया जा रहा है और अगर आपने ओटीपी नहीं बताया तो आपका अकाउंट बंद हो जायेगा! ऑनलाइन भी बड़े लेवल पर फिशिंग होती है। आपके पास, आपकी मेल पर, आपके व्हाट्सएप पर या दूसरे अकाउंट पर एक मैसेज आएगा कि आप अमुक लिंक पर लॉगिन करें और ढेर सारे इनाम जीतें!

ऐसे में जो इंटरफेस आपके सामने आएगा, वह बिल्कुल फेसबुक- जीमेल की तरह दिखेगा! फिर क्या है, आप उसे जीमेल या फेसबुक या कोई बैंकिंग अकाउंट समझकर वहां पर एक्चुअल डिटेल डालेंगे, और ज्योंही आप वहां पर डिटेल टाइप करेंगे, आपकी इंफॉर्मेशन हैकर के पास पहुंच गई होगी।

इसीलिए आपको बहुत सावधान रहना है और कोई भी एड्रेस, कोई भी सोशल मीडिया अकाउंट आपको ऑफिशियल तरीके से खोलना है, खुद टाइप करके खोलना है, नाकि किसी मेल पर आए लिंक को खोलें और वहां पर सेंसिटिव डिटेल डालें।

आजकल बैंकिंग इत्यादि तो छोड़ ही दें, जीमेल, फेसबुक और दूसरे तमाम अकाउंट टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन फैसिलिटी दे रहे हैं। मतलब पासवर्ड के साथ-साथ आपके मोबाइल से भी यह जुड़ा होता है।

मतलब मोबाइल पर आपके कोड आता है वह कोड मैसेज के थ्रू हो सकता है, या कॉल आती है और जो कोड बताया जाता है, वह कोड डालने के बाद ही आपका सोशल मीडिया अकाउंट ओपन होगा। इसके अलावा गूगल ऑथेंटिकेटर, आथि जैसे थर्ड पार्टी ऐप आते हैं, जो आपके अकाउंट को टू वे सेफ रखते हैं।

टेक्निकल लैंग्वेज में की लॉगर एक खतरनाक टर्म है। यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है, जो आपके सिस्टम में किसी ईमेल के द्वारा, किसी पॉप अप के द्वारा इंस्टॉल हो जाता है, और जब भी आप कुछ लॉगइन करते हैं, तो वह लॉग इन इंफॉर्मेशन कीलॉगर में सेव हो जाती है, और कई बार हैकर के पास पहुंच जाती है।

खासकर पब्लिक कंप्यूटर जब भी आप इस्तेमाल करते हैं, तो वहां पर, उस सिस्टम में कीलॉगर तो नहीं इंस्टॉल है, इसे चेक करें। इसके अलावा लॉगइन अलर्ट इनेबल रखें, मतलब कि आपके अकाउंट में जब भी लॉगिन हो, आपके पास मैसेज या एक ईमेल जरूर आयेगा, ताकि आप समझ पाएंगे कि आपने ही लॉगिन किया है, या कोई और लॉग इन करने की कोशिश कर रहा है।

अगर ऐसी इंफॉर्मेशन आती है, तब तत्काल संबंधित अथॉरिटी को रिपोर्ट करें और अपने पासवर्ड इत्यादि चेंज करके अपने अकाउंट को पुनः सिक्योर कर लें।मैलवेयर ट्रोजन स्पाइवेयर इत्यादि इसी कीलॉगर के रूप कहे जाते हैं। अगर आप सिस्टम यूज करते हैं, तो एंटीवायरस सॉफ्टवेयर आपके सिस्टम में इनस्टॉल होना चाहिए और अपडेटे भी रहना चाहिए।

सिर्फ ऑफिशियल सॉफ्टवेयर ही इस्तेमाल करें और पायरेटेड से बचें, यहां तक कि अगर आप मोबाइल एप्स इंस्टॉल करते हैं तो अननोन सोर्सेस का एपीके फाइल इंस्टॉल ना करें, बल्कि प्ले स्टोर या आईओएस से ही ऑफिशियल ऐप इंस्टॉल करें।

अब आप खुद को सेफ महसूस कर सकते हैं, किन्तु खुद को लगातार अपडेट रखना भी सेफ्टी का ही हिस्सा है, अन्यथा नयी जानकारी के अभाव में आप मुसीबत में फँस सकते हैं।

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