राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी का निधन

देहरादून: वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी (84 वर्षीय) का निधन हो गया। मंगलवार शाम छह बजे घर पर अचानक तबीयत बिगड़ने पर परिजन उन्हें इलाज के लिए मैक्स अस्पताल ले गए थे। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी पिछले तीन साल से अस्वस्थ चल रही थीं। परिजनों के मुताबिक पिछले साल जुलाई में उन्हें हार्ट संबंधी समस्या के चलते स्टंट डला था। बलूनी के तीन पुत्र विनय बलूनी, संजय बलूनी और विजय बलूनी और एक बेटी शशि बहुगुणा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल और वरिष्ठ राज्य आंदोलकारी रविंद्र जुगरान सहित कई गणमान्य लोगों ने उनके निधन पर शोक जताया है।

सुशीला बलूनी ने अपनी सामाजिक एवं राजनीतिक यात्रा में एक बेहतरीन पारी खेली है। एडवोकेट सुशीला बलूनी 1980 के समय से हेमवती नंदन बहुगुणा के पौड़ी गढ़वाल लोक सभा चुनाव से राजनीति में सक्रिय रहीं और बहुगुणा के प्रबल समर्थकों में से थीं। वह उत्तराखंड क्रांति दल में भी लम्बे समय तक रहीं। उनकी उत्तराखंड पृथक राज्य निर्माण आंदोलन में अहम भूमिका रही।

उन्होंने देहरादून मेयर का चुनाव भी लड़ा और त्रिकोणीय संघर्ष में बहुत अच्छे वोट हासिल किए, लेकिन चुनाव नहीं जीत पाईं। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गई थीं। वह उत्तराखंड आंदोलनकारी सम्मान परिषद की अध्यक्ष और उत्तराखंड महिला आयोग की अध्यक्ष भी रहीं। उनकी छवि एक जुझारू, संघर्षशील और ईमानदार महिला नेत्री के रूप में रही। उन्हें उत्तराखंड में ताईजी के रूप में भी जाना जाता रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी के निधन पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की कामना की है। सीएम ने कहा, पृथक उत्तराखंड के निर्माण में सुशीला बलूनी के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने भी उनके निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा, राज्य आंदोलन में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि वह राज्य आंदोलन की सशक्त पक्षकार थीं, जो पृथक राज्य आंदोलन के दौरान कई बार जेल गईं।

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