अप्रैल से यूपीआई भुगतान होगा महंगा !

नई दिल्ली : भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने हाल ही में जारी एक सर्कुलर में सलाह दी है कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) पर होने वाले मर्चेंट लेनदेन पर प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) शुल्क लागू किया जाए। हालांकि एनपीसीआई ने रिलीज जारी कर स्थिति साफ कर दी है कि आम ग्राहकों के लिए जो खातों से खातों में लेनदेन करेंगे उनके लिए यूपीआई मुफ्त बना रहेगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यूपीआई का संचालन करने वाली संस्था एनसीपीआई ने अपने सर्कुलर में कहा कि 2,000 रुपये से अधिक की राशि के लिए यूपीआई पर पीपीआई का उपयोग करने से लेनदेन मूल्य का 1.1 प्रतिशत शुल्क के रूप में देना पड़ेगा। इंटरचेंज शुल्क आमतौर पर कार्ड भुगतान से जुड़ा होता है और लेनदेन को स्वीकार करने, संसाधित करने और अधिकृत करने की लागत को कवर करने के लिए लगाया जाता है।

बैंक खाते और पीपीआई वॉलेट के बीच पीयर-टू-पीयर (पी2पी) और पीयर-टू-पीयर-मर्चेंट (पी2पीएम) लेनदेन के लिए इंटरचेंज की आवश्यकता नहीं होती है और पीपीआई जारीकर्ता वॉलेट-लोडिंग सेवा शुल्क के रूप में प्रेषक बैंक को लगभग 15 आधार अंक का भुगतान करेगा।

इंटरचेंज की शुरुआत 0.5-1.1 प्रतिशत के बीच है, जिसमें ईंधन के लिए इंटरचेंज 0.5 प्रतिशत, दूरसंचार, उपयोगिताओं/ डाकघर, शिक्षा, कृषि के लिए 0.7 प्रतिशत, सुपरमार्केट के लिए 0.9 प्रतिशत और म्यूचुअल फंड, सरकार, बीमा और रेलवे के लिए 1 प्रतिशत है। ये शुल्क 1 अप्रैल, 2023 से लागू होंगे।

सर्कुलर में में कहा गया है कि एनपीसीआई 30 सितंबर, 2023 को या उससे पहले घोषित मूल्य निर्धारण की समीक्षा करेगा। एनपीसीआई के सर्कुलर से संकेत मिल रहे हैं कि एक अप्रैल से यूपीआई भुगतान यानी गूगल पे, फोन पे और पेटीएम के माध्यम से अगर 2,000 रुपये से ज्यादा का भुगतान किया गया तो इसके लिए आपको अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ सकता है।

बता दें कि पिछले कुछ महीनों में सरकार की ओर से कई बार इस बात के संकेत दिए गए थे कि यूपीआई मुफ्त बना रहेगा। यूपीआई से भुगतान भारतीय अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण में अहम भूमिका निभा रहा है। ऐसे में यूपीआई लेनदन पर शुल्क लगने से इस पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

पिछले हफ्ते ही केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने संसद में बताया है कि वित्तीय वषर्र 2022-23 में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए 125 करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन हुआ है। इस दौरान 95 हजार से ज्यादा लोग धोखाधड़ी के शिकार भी हुए हैं। चिंता की बात ये है कि धोखाधड़ी के शिकार होने वालों की संख्या पिछले तीन साल से बढ़ती जा रही है।

आंकड़े बताते हैं कि 2020-21 में 77 हजार और 2021-22 में 84 हजार लोग यूपीआई से लेनदेन के दौरान धोखाधड़ी के शिकार हुए थे। मंत्रालय ने कहा कि भारतीय डिजिटल भुगतान प्रणाली को भी वैश्विक स्वीकृति मिली है। सिंगापुर, यूएई, मॉरीशस, नेपाल और भूटान जैसे देशों ने भी इसे अपना लिया है।

यूपीआई लेनदेन पर 1 अप्रैल से शुल्क लगने की खबर पर एनपीसीआई ने बुधवार को रिलीज जारी कर स्थिति साफ की है। एनपीसीआई ने बुधवार को जारी रिलीज में कहा है कि यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) मुफ्त, तेज, सुरक्षित और निर्बाध बना रहेगा।

इसके माध्यम से हर महीने बैंक अकाउंट का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स और कारोबारियों के लिए 8 अरब रुपये से अधिक लेन-देन बिल्कुल मुफ्त में किए जाते हैं। PPI चार्ज वसूला जाएगा। प्रेस रिलीज में कहा गया है कि ग्राहक और मर्चेंट के बीच किया गया बैंक अकाउंट से बैंक अकाउंट ट्रांजैक्शन बिल्कुल फ्री बना रहेगा।

पीपीआई एक ऐसा वित्तीय उपकरण है, जिसमें आप पहले से पैसे डालकर भविष्य में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इस स्टोर किए गए पैसे से वस्तु और सेवाएं खरीदी जा सकती हैं। पीपीआई से दोस्त या रिश्तेदार, आदि को पैसे भी भेजे जा सकते हैं। फिलहाल अभी देश में तीन प्रकार के पीपीआई काम कर रहे हैं।

ये हैं सेमी क्लोज्ड सिस्टम पीपीआई, क्लोज्ड सिस्टम पीपीआई और ओपन सिस्टम पीपीआई। पीपीआई को कार्ड और मोबाइल वॉलेट के रूप में जारी किया जा सकता है। देश में पेमेंट वॉलेट की सुविधा मुहैया कराने वाली प्रमुख कंपनियां जैसे पेटीएम, फोनपे और गूगल पे जैसी कंपनियां इस तरह के पीपीआई से जुड़ी सेवाएं मुहैया कराती हैं।

पीपीआई को बैंक और गैर-बैंकिंग इकाइयां जारी करती हैं। आरबीआई प्रावधानों के अनुसार पीपीआई में पैसे भरे जा सकते हैं और इसे कार्ड या इलेक्ट्रानिक रूप में जारी किया जा सकता है। इसे बैंक खातों में पड़े पैसे रिचार्ज किया जा सकेगा। इस पीपीआई का उपयोग वस्तु और सेवाओं की खरीद में किया जा सकेगा। बचे हुए पैसे को को फिर से खाते में ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा।

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