अपना ही मुल्क छोड़ने को मजबूर अफगानी

काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत के बाद से ही वहां हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं। तालिबान ने साल 2021 में अफगानिस्तान पर कब्जा किया था। उसी समय से वहां पर महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए थे। वहां पर पूरी तरह से तानाशाही शासन चल रहा है, जिससे नागरिक परेशान हो गए हैं और वहां से निकल कर अन्य जगहों पर शरण ले रहे हैं। एक महीने में 9,000 से अधिक लोगों ने यूरोपीय संघ में शरण लेने के लिए आवेदन किया है।

यूरोपीय जनगणना ब्यूरो ने बताया है कि पिछले एक महीने में, 9,000 से अधिक अफगान नागरिकों ने यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों में शरण लेने के लिए आवेदन किया है। खामा प्रेस के अनुसार, यह किसी एक देश द्वारा शरण आवेदनों के रिकॉर्ड में सबसे अधिक संख्या है। यूरोपीय जनगणना ब्यूरो के अनुसार, मौजूदा वर्ष की शुरुआत में यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में शरण हितों में पिछले वर्ष की तुलना में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

यूरोपियन सेंसस ब्यूरो ने गुरुवार को मासिक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट में पता चला कि अकेले फरवरी में 76,500 लोगों ने यूरोपीय संघ को शरण के लिए आवेदन दिया है। यह संख्या पिछले साल की तुलना में 40 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। यूरोपीय संघ ने कहा है कि उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, पिछले साल फरवरी में अफगानिस्तान के 54,370 लोगों ने यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों में शरण लेने के लिए आवेदन किया था।

रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि सीरियाई और अफगान पिछले वर्षों में यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों में शरण चाहने वालों के सबसे बड़े समूह हैं। आंकड़ों से पता चला है कि अफगान नागरिकों के शरण आवेदन का 77 प्रतिशत क्रमशः स्पेन, जर्मनी, फ्रांस और इटली में दर्ज किया गया है

इन देशों में अफगान नागरिक सबसे अधिक शरण लेना चाहते हैं। खामा प्रेस के अनुसार, अकेले जर्मनी को फरवरी में 25,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। यह आंकड़े देश में शरण अनुरोधों की सबसे बड़ी संख्या है। यूरोपीय संघ के आंकड़ों के अनुसार, नए शरण चाहने वालों में 2,745 नाबालिग हैं, जिनमें से 1,025 अफगान नागरिक थे।

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