देहरादून: विकास के लिए चार अरब का बजट मंजूर

देहरादून: नगर निगम ने अपनी योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 में चार अरब (404 करोड़) रुपये का बजट मंजूर किया है। शहर में विकास कार्यों के लिए मंजूर इस बजट में निगम के खर्चे भी शामिल हैं, मगर इसमें से आधा बजट भी विकास कार्यों पर खर्च हुआ तो शहर की सूरत ही बदल सकती है।

निगम ने वित्तीय वर्ष में 550 करोड़ रुपये आय का अनुमान लगाया है। इसमें गृहकर से 50 करोड़ की आय का लक्ष्य रखा गया है। बोर्ड बैठक में पार्षद विकास कार्यों के लिए सभी वार्ड को 20-20 लाख की विकास राशि जारी करने की मांग करते रहे, लेकिन महापौर ने इससे इन्कार कर दिया।

बताया कि अभी तक पूर्व में जारी विकास निधि के कार्य नहीं हुए हैं। इसलिए नई विकास निधि पर निर्णय पिछले कार्य होने के बाद लिया जाएगा। बैठक की अध्यक्षता महापौर सुनील उनियाल गामा ने की। इस दौरान राजपुर विधायक खजानदास व रायपुर विधायक उमेश शर्मा कार्य समेत सहसपुर विधायक सहदेव सिंह पुंडीर बैठक में मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के फैसले के बाद नगर निगम बोर्ड ने शीशमाबाड़ा प्लांट को दूसरी जगह शिफ्ट करने की स्वीकृति दे दी है। गुजरी चार अप्रैल को प्लांट में आग की घटना के बाद से स्थानीय ग्रामीण लगातार प्लांट शिफ्ट करने की मांग कर रहे हैं।

मामले में सहसपुर विधायक सहदेव सिंह पुंडीर ने महापौर सुनील उनियाल गामा एवं ग्रामीणों के संग मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। इस दौरान जनभावना को देखते हुए मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को प्लांट के लिए नई जगह तलाशने के निर्देश दिए थे।

उस समय तय हुआ था कि निगम बोर्ड में इसका प्रस्ताव मंजूर कर शासन को भेजा जाएगा। प्रस्ताव पर चर्चा के वक्त भाजपा पार्षद भूपेंद्र कठैत ने इसका विरोध किया। कहा कि मशक्कत के बाद यह प्लांट शुरू हुआ। सवाल पूछा कि क्या गारंटी है कि नई जगह लोग प्लांट का विरोध नहीं करेंगे।

कठैत ने कहा कि ये तय था कि प्लांट के 500 मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं होगा तो शीशमबाड़ा क्षेत्र में निर्माण कैसे हुआ। महापौर ने कहा कि प्लांट शिफ्ट करना सरकार का निर्णय है व सरकार ही प्लांट लगाकर देगी।

बैठक में कांग्रेस के नेता विपक्ष डा. बिजेंद्र पाल सिंह जब अपने प्रस्ताव पर महापौर के साथ चर्चा कर रहे थे, तभी भाजपा के कुछ पार्षदों ने उन पर टिप्पणी शुरू कर दी। यही नहीं, भाजपा पार्षदों ने डा. पाल पर बैठने के लिए दबाव भी बनाया। इस पर डा. पाल व कांग्रेसी पार्षदों का पारा चढ़ गया।

शुरुआत में ही महापौर ने तय कर दिया था कि सभी पार्षदों को एक बार ही अपनी बात रखने के लिए मौका मिलेगा, लेकिन डा. पाल ने कई कई दफा उठकर अपनी बात रखी। जिस पर भाजपा पार्षदों ने विरोध जताया तो कांग्रेस के पार्षद आरोप लगाने लगे कि उनकी आवाज को दबाया जा रहा है।

विधायक काऊ ने अजबपुर में बनने वाले स्टेडियम के निर्माण कार्य पर भी नाराजगी जताई। कहा कि दो साल पहले विधायक निधि से इसके लिए पौने तीन करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन नगर निगम ने डीपीआर भी अब तक नहीं बनाई।

सामुदायिक भवन के बुरे हाल हैं, खिड़की-दरवाजे तक नहीं हैं। वे बोले कि हमें अपनी संपत्ति की देखरेख करनी चाहिए। वहीं, विधायक खजानदास ने साढ़े तीन मीटर से कम चौड़ी सड़कों के निर्माण का मामला उठाया। कहा कि ऐसी सड़कों का निर्माण न नगर निगम करता है, न लोनिवि न ही एमडीडीए। इससे क्षेत्रीय निवासी परेशान हैं। उन्होंने महापौर गामा से इस मामले में मुख्यमंत्री से बात करने का प्रस्ताव रखा।

डेयरी की गंदगी पर शिकंजा कसने की कवायद में नगर निगम एक्ट में संशोधन करेगा। इसके तहत सभी डेयरी का नगर निगम में पंजीकरण अनिवार्य होगा। साथ ही गोवंश में रेडियोलाजिकल चिप लगाई जाएगी। अभी पशुपालन विभाग की तरफ से पशु के कान में टैग लगाया जा रहा है।

गोवंश को आवारा छोड़ते समय संचालक यह टैग कान काटकर निकाल लेते हैं और इससे यह पता नहीं चलता कि पशु किस डेयरी संचालक ने छोड़ा है। वरिष्ठ नगर पशु चिकित्साधिकारी डा. डीसी तिवारी के इस प्रस्ताव को बोर्ड ने मंजूर कर लिया।

शहर में मांस बिक्री की दुकानों को एक साल का अनापत्ति प्रमाण पत्र देने का अब नगर निगम शुल्क लेगा। बोर्ड बैठक में तय हुआ कि मुर्गा, मछली व अंडा की दुकानों को प्रमाण पत्र देने के एक हजार रुपये एवं सूअर की दुकान के लिए दो हजार रुपये शुल्क लिया जाएगा। बकरा, भेड़ व भैंस के मांस विक्रेता से पांच हजार रुपये का शुल्क सालाना लिया जाएगा।

जिन वार्डों में नई एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगनी रह गई हैं, वहां के लिए निगम अब कंपनी के साथ 8229 नई लाइटों का करार करेगा। निगम के साथ हुए अनुबंध में शर्त है कि नगर निगम लाइटों की संख्या में 20 प्रतिशत तक वृद्धि कर सकता है। अब तक शहर में करीब 90 हजार स्ट्रीट लाइटें लगाई जा चुकी हैं।

बोर्ड बैठक के अन्य फैसले

-नए वार्डों में व्यावसायिक गृहकर माफी के बावजूद भवन मालिकों को नोटिस देने के मामले में बोर्ड ने निर्णय लिया कि किसी का उत्पीडऩ नहीं किया जाएगा। यदि भवन मालिक ऋण लेने या नक्शा मंजूरी कराने के लिए गृहकर जमा करना चाहता है तो करा सकता है। उस पर दबाव नहीं बनेगा।

-नए वार्डों की मलिन बस्तियों का सर्वे होगा। उसके बाद उन्हें पुराने वार्डों की तरह वैध मलिन बस्तियों की सूची में सम्मिलित किया जाएगा।

-डाट मंदिर से ट्रांसपोर्टनगर तक एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाई जाएंगी।

-मुख्य मार्गों पर 30 वाट की जगह ज्यादा रोशनी के लिए 70 वाट की लाइट लगेगी।

-साप्ताहिक बाजार का पंजीकरण निगम में कराना होगा। सत्यापन के बाद ही निगम इसकी मंजूरी देगा। एक दिन के बाजार का शुल्क पांच हजार रुपये वसूला जाएगा।

-एमडीडीए से पूर्व में सहमति बनी थी कि नक्शे के शुल्क का 25 प्रतिशत विकास शुल्क की मद में निगम को मिलेगा लेकिन यह अब तक नहीं मिला। इसके लिए फिर दबाव बनाया जाएगा।

-एमडीडीए व स्मार्ट सिटी के अधीन चल रही अपनी पार्किंग वापस लेगा निगम। नगर निगम पत्र भेजकर पार्किंग का राजस्व अपने खाते में जमा कराने की करेगा मांग।

-सेवलाकलां में बाल श्मशान की भूमि का सीमांकन होगा, इसके बाद चाहरदीवारी कराई जाएगी।

-नगर निगम की कार्यकारिणी के लंबित चुनाव जल्द कराए जाएंगे।

-शहर में फेरीवालों का सर्वेक्षण कार्य कर उन्हें लाइसेंस दिए जाएंगे।

-स्मार्ट सिटी के तहत 700 सीसी कैमरे शहर में लगने के बाद गलियों में भी कैमरे लगाने पर होगा विचार।

-दस बेड वाले आयुर्वेद चिकित्सालय बनाने को भूमि देगा नगर निगम।

-बिजली के खंभों पर ट्रायल के तौर पर लाइट बंद करने के 20-20 वाटरप्रूफ स्विच लगाए जाएंगे। इस पर ढाई लाख रुपये खर्च होंगे। एक स्विच 180 रुपये का है।

-प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिले एक करोड़ रुपये से सभी वार्डों में साइट पटरी एवं लघु मरम्मत के कार्य पर रोक लगा दी गई। यह धनराशि सिर्फ शहरी सड़क पर खर्च होगी।

-नालों की सफाई के लिए चार मशीनें व कर अनुभाग के लिए एक क्रेन और बोलेरो खरीदेगा निगम।

-कचहरी रोड कांप्लेक्स की दुकानों से 18 प्रतिशत के बजाए एक प्रतिशत ब्याज लेगा निगम।

-स्वर्गीय विधायक रणजीत सिंह वर्मा के नाम पर रखा जाएगा राजेंद्र नगर स्ट्रीट नंबर तीन का नाम।

-विधायक विनोद चमोली के प्रस्ताव पर टर्नर रोड के पास चौराहे का नाम पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के नाम पर रखा जाएगा।

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