खरमास खत्म, शुरू हुए मांगलिक कार्य

नई दिल्ली: वैदिक ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं तब एक माह के लिए खरमास शुरू हो जाता है। खरमास लगने पर किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित हो जाता है।

सूर्यदेव जैसे ही धनु राशि की अपनी यात्रा समाप्त कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं वैसे खरमास का समय खत्म हो जाता है और सभी तरह के शुभ कार्य दोबारा से आरंभ हो जाते हैं। बीते 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर सूर्य का राशि परिवर्तन मकर राशि में होने से खरमास खत्म हो गया है।

शास्त्रों में खरमास के समय को अच्छा नहीं माना जाता। खरमास में सूर्य की शक्ति कमजोर होने से शुभ कार्य एक महीने के लिए थम जाते हैं। अब जैसे ही सूर्य धनु राशि से निकलकर शनि की राशि मकर में प्रवेश कर चुके वैसे ही सभी तरह के शुभ कार्य दोबारा से आरंभ हो गए है।

खरमास के महीने में सगाई,विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, नई दुकान या प्रतिष्ठान खोलना आदि जैसे मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। अब जैसे ही खरमास खत्म हो गया है सभी मांगलिक कार्य शुरू हो गए हैं।

विवाह के लिए शुभ तिथियां
जनवरी 2022- खरमास खत्म होते ही पहला विवाह का शुभ मुहूर्त 22 जनवरी को है। फिर इसके बाद अगला शुभ मुहूर्त 23, 24 और 25 जनवरी को है जिसमें विवाह कार्य संपन्न किया जा सकता है।

फरवरी 2022- फरवरी के महीने में विवाह का पहला शुभ मुहूर्त 04 फरवरी को है, फिर इसके बाद 05, 06, 07, 08,10,18 और 19 फरवरी को विवाह के लिए शुभ मुहूर्त है।

मार्च 2022- मार्च के महीने में विवाह के लिए कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं है।

गृह प्रवेश मुहूर्त की शुभ तिथियां

फरवरी- 5 फरवरी, शनिवार , 11 फरवरी, शुक्रवार, 18 फरवरी, शुक्रवार और 19 फरवरी शनिवार
मार्च – 26 मार्च, शनिवार

पुराणों के अनुसार जब एक बार सूर्य देवता अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्राह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे। तब निरंतर चलते रहने के कारण उनके रथ में जुते घोड़े बहुत थक गए और सभी घोड़े प्यास से व्याकुल हो रहे थे। घोड़ों की यह स्थिति देखकर सूर्य देव बहुत दुखी हुए और उनकी चिंता होने लगी।

रास्ते में उन्हें एक तालाब दिखाई दिया जिसके पास दो खर यानी गधे खड़े थे। भगवान सूर्यनारायण ने प्यास से व्याकुल अपने घोड़ों को राहत देने के लिए उन्हें खोल कर दो गधों को अपने रथ में बाँध लिया। लेकिन खरों के चलने की गति धीमी होने के कारण रथ की गति भी धीमी हो गई।

फिर भी जैसे तैसे एक मास का चक्र पूरा हो गया। उधर तब तक घोड़ों को काफी आराम मिल चुका था। इस तरह यह क्रम चलता रहता है। इसी वजह से इस महीने का नाम खर मास रखा गया। इस प्रकार पूरे पौष मास में खर अपनी धीमी गति से भ्रमण करते हैं और इस माह में सूर्य की तीव्रता बहुत कमजोर हो जाती है,

पौष के पूरे महीने में पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य का प्रभाव कमजोर हो जाता है।चूंकि सनातन धर्म में सूर्य को महत्वपूर्ण कारक ग्रह माना जाता है, ऐसे में सूर्य की कमजोर स्थिति को अशुभ माना जाता है इस कारण खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है।

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