देहरादून: कड़ाके की ठंड के बीच हुई बारिश से उत्तराखंड के किसानों-काश्तकारों के चेहरे खिल गए। रबी की फसल के साथ ही मौसमी सब्जियों को भी बारिश के खासा लाभ मिलने की उम्मीद है। पैदावार बढ़ने की आस में कोविड की मार झेल रहे किसानों ने सकून की सांस ली है।
बारिश की झड़ी से खेतों में मुरझा रही फसल में जान आ गई। मौसम में लगातार दूसरे दिन किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं नजर आया। मंगलवार को बदले मौसम का दौर बुधवार को भी जारी रहा। रातभर रिमझिम बरसा पानी संजीवनी के रूप में फसल पर गिरा।
बारिश के चलते अधिकतम तापमान में भी गिरावट आई। दून में दो दिन में 22 एमएम बारिश हो चुकी है। रिमझिम बारिश से जनपद में सर्वाधिक खुशी अन्नदाता को मिली है। अन्नदाता के लिए यह बारिश अमृत समान हुई। सूख रही अरहर, चना, गेहूं, मसूर व सरसों की खेती लहलहाती दिखने लगी है। बीते साल सामान्य से कम बारिश हुई थी, जिससे किसान के खरीफ की फसल तो सूखने की कगार पर पहुंच गई थी।
हालांकि, किसानों को रबी की फसल से खासी उम्मीदें थीं। कुछ किसानों ने सिंचाई का इंतजाम कर गेहूं, चना, सरसों, मसूर और मटर आदि बोया, लेकिन कम बारिश से फसल पर सूखने के संकट था। बीते दो दिन हुई बारिश से फसल को खास लाभ पहुंचा है। अगले कुछ दिन भी बारिश होने के आसार हैं।
धनोल्टी, सुरकंडा-कद्दूखाल, काणाताल तथा बुरांशखंडा की ऊंची पहाडिय़ों पर मौसम का पहला हिमपात हुआ है। गुरुवार सुबह समूचा क्षेत्र में बर्फ की सफेद चादर बिछी दिखी। नागटिब्बा तथा पत्थरखोला में भी मौसम का पहला हिमपात हुआ, लेकिन हिमदेव मसूरी की पहाडिय़ों पर मेहरबान नहीं हुए। जिससे मसूरी में हिमपात की आस लगाए पर्यटकों को मायूस होना पड़ा।
पूरे दिन भर आसमान में बादलों ने डेरा जमाए रखा। शाम के करीब चार बजे एक बार हल्की बूंदाबांदी हुई। शीत भरी हवाओं से कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। बरसात से पूरी यमुना घाटी, अगलाड़ व भद्री घाटियों के काश्तकारों तथा बागवानों के चेहरों पर खुशी देखी जा रही है। फसलों के बारिश व बर्फबारी मुफीद मानी जा रही है।