गुप्त नवरात्र: दस महाविद्याओं की साधना का पर्व

उदय दिनमान डेस्कः हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। शास्त्रों के मुताबिक नवरात्र में देवी के नौ रुपों की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा के दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। आषाढ़ माह में आने वाले गुप्त नवरात्र 11 जुलाइ से शुरू हो गए हैं। गुप्त नवरात्र इस बार आठ दिन के हैं। 18 जुलाई को रवि योग में नवमी के साथ नवरात्र का समापन होगा।

गुप्त नवरात्र में भक्तगण त्रिपुरा भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बंगलामुखी, मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता मातंगी व कमला देवी की पूजा की जाती है। इस पूजा से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं। इस बार नवरात्र की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि व रवि पुष्य नक्षत्र में हुई है।

हिंदू धर्म के अनुसार साल में चार नवरात्र होते हैं। जिनमें से दो को प्रत्यक्ष नवरात्र कहा गया है, क्योंकि इनमें गृहस्थ आश्रम से जुड़े जातक पाठ करते हैं। दो गुप्त नवरात्र में साधक व संन्यासी, सिद्धि प्राप्त करने की इच्छा करने वाले लोग, तांत्रिक आदि देवी मां की उपासना करते हैं। गुप्त नवरात्र के दिनों में देवी की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जिनका तंत्र शक्तियों और सिद्धियों में विशेष महत्व है। प्रत्यक्ष नवरात्र में सांसारिक जीवन से जुड़ी चीजें देने वाली देवी के नौ रूपों की पूजा होती है।

गुप्त नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होती है। कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा की श्री मूॢत को लाल रंग के पाटे पर सजाते हैं। गंगा जल से स्नान कराकर रोली, कुमकुम, अक्षत, फूल, भोग लगाएं व घी के दीपक जलाकर मां की पूजा होती है। प्रतिदिन सुबह-सुबह मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी व नवमी को नौ कन्याओं को भोजन कराकर नवरात्रि के उपवास का परायण कर मां का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

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