दर्दनाक तस्वीर: कलेजे के टुकड़े की लाश को बोरी में लेकर पैदल चला बेबस पिता

नई दिल्ली: देश के कौने-कौने से कब और कौन सी दर्दनाक और शर्मनाक तस्वीर सामने आ जाए कहा जा नहीं सकता। इस बार बिहार और यूपी से एक ऐसी दर्दनाक तस्वीर सामने आयी, जिसे देश सभी के आखों में आशूओं की धारा बहने लगी। व्यवस्था की संवेदनहीनता को देखकर सुशासन और लोगों की सुरक्षा के सरकारी दावे बिल्कुल खोखले नजर आते हैं।

बिहार के कटिहार में एक बाप को पुलिस और प्रशासन की बेरुखी की वजह से अपने कलेजे के टुकड़े की लाश को बोरी में लेकर तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। वहीं, यूपी के प्रयागराज में अस्पताल ने पैसे नहीं मिलने पर बच्ची के पेट का ऑपरेशन करने के बाद बिना टांका लगाए ही बाहर निकाल दिया। इस अमानवीयता से बच्ची की तड़प-तड़पकर जान चली गई।

बिहार के भागलपुर जिला के गोपालपुर थाना क्षेत्र के तीनटंगा गांव के पास नदी पार करने के दौरान नीरू यादव का 13 वर्षीय पुत्र हरिओम यादव नाव से गिर गया था। बाद में बेटे की लाश सड़ी-गली और जानवरों द्वारा नोची गई हालत में कटिहार जिले में खेरिया नदी के तट पर मिली।

शव के लिए न तो भागलपुर जिला के गोपालपुर थाना पुलिस और ना ही कटिहार जिला के कुर्सेला पुलिस ने कोई संजीदगी दिखाई। ऐसे में सिस्टम से हारे पिता को अपने ‘कलेजे के टुकड़े’ के शव को बोरे में रख तीन किलोमीटर तक पैदल चलकर ले गए।

इस बारे में पूछे जाने पर नीरू यादव ने कहा कि हम कब तक सिस्टम से गुहार लगाते। किसी भी थाना पुलिस ने तो गाड़ी उपलब्ध करवायी और न कोई सहानुभूति दिखाई। ऐसे में पैदल ही अपने बेटे की लाश को लेकर आने की मेरी मजबूरी थी। अब कटिहार अनुमंडल पुलिस अधिकारी इस मामले को लेकर किस थाना और पुलिसकर्मी की लापरवाही हुई है, इसकी जांच में जुटे हैं।

वहीं, दो दिन पहले प्रयागराज के करेली इलाके के रहने वाले ब्रह्मदीन मिश्रा की तीन साल की बेटी ने डॉक्टरों की अमानवीयता की वजह से दम तोड़ दिया। ब्रह्मदीन मिश्रा ने बेटी के पेट दर्द का इलाज कराने के लिए प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया था। कुछ दिन बाद बच्ची के पेट का ऑपरेशन किया गया।बच्ची के पिता के मुताबिक इस ऑपरेशन का डेढ़ लाख रुपए लेने के बाद भी हॉस्पिटल प्रशासन ने पांच लाख की डिमांड की। जब रुपए नहीं दे पाए तो हॉस्पिटल प्रशासन ने बच्ची सहित परिवार को बाहर भेज दिया और कहा क‍ि अब इसका इलाज यहां नहीं हो पाएगा।

मृतक बच्ची के पिता का आरोप है कि डॉक्टर्स ने बच्ची के ऑपरेशन के बाद सिलाई, टांका नहीं किया और परिवार को ऐसे ही सौंप दिया। इसी वजह से दूसरे हॉस्पिटल ने बच्ची को लेने से मना कर दिया। बाद में इलाज के अभाव में बच्ची ने दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि बच्ची के पिता ने इलाज के लिए अपने हिस्सा का दो बिस्वा खेत भी बेच दिया था। रिश्तेदारों से भी पैसे उधार लिए लेकिन बच्ची को नहीं बचा सका। 3 साल की बेटी की मौत के बाद परिवार बदहवास है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *