पेरिस: नेपाल के बाद अब फ्रांस में जोरदार विरोध प्रदर्शन हो रहा है। फ्रांस में प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू की सरकार गिरने के एक दिन बाद राजधानी पेरिस और अन्य स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने सड़कें बाधित कर दीं और आगजनी की। पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले दागे। फ्रांस के गृह मंत्री ने राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के शुरुआती घंटों में लगभग 200 लोगों की गिरफ्तारी की घोषणा की।
प्रदर्शनकारियों ने इसका ‘ब्लॉक इवरीथिंग’ मूवमेंट नाम दिया है। विरोध प्रदर्शन हालांकि ऑनलाइन शुरू हुआ था लेकिन बाद में यह तीव्र होता गया और 80,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती को चुनौती देते हुए प्रदर्शनकारियों ने अवरोधकों को तोड़ दिया जिसके बाद पुलिस ने तेजी से गिरफ्तारियां कीं।
फ्रांसीसी गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलेउ ने कहा कि पश्चिमी शहर रेन्नेस में एक बस में आग लगा दी गई और दक्षिण-पश्चिम में एक बिजली लाइन को नुकसान पहुंचने से रेलगाड़ियां बाधित हुईं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारी “विद्रोह का माहौल” बनाने का प्रयास कर रहे हैं। ‘ब्लॉक इवरीथिंग’ की शुरुआत गर्मियों के दिनों में हुई थी।
इस आंदोलन को सोशल मीडिया जैसे टिकटॉक और एक्स के जरिए बढ़त मिली। इसके जरिए हड़ताल, बायकाट और सड़कों पर प्रदर्शन का आह्वान छात्रों, वर्कर्स और कार्यकर्ताओं से किया गया। विश्लेषकों का कहना है कि फ्रांस सरकार के लिए इसे दबाना मुश्किल हो रहा है।
इस बीच फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने मंगलवार देर रात रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। लगभग एक साल में देश को चौथी बार नया प्रधानमंत्री मिला है। लेकोर्नू (39) फ्रांस के इतिहास में सबसे कम उम्र के रक्षा मंत्री हैं। साल 2017 में मैक्रों के मध्यमार्गी आंदोलन में शामिल हुए लेकोर्नू ने इससे पहले विभिन्न पदों पर कार्य किया है।
सोमवार को फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू संसद में विश्वास मत हासिल करने में नाकाम रहे थे, जिसके बाद उनकी सरकार गिर गई थी। बायरू की सरकार के पक्ष में 194 जबकि विरोध में 364 वोट पड़े। मैक्रों ने पिछले साल दिसंबर में बायरू को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। सरकार गिरने के बाद बायरू को संवैधानिक रूप से बाध्य होकर मैक्रों को इस्तीफा सौंपना होगा।