दम घोंट रही है दिल्ली की हवा !

नई दिल्ली :राजधानी में हवा की गति तेज होने से पारा गिरने के बीच लोगों की सांसों पर संकट बरकरार है। हालांकि सोमवार को हवा की गुणवत्ता में सुधार आया है। इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 309 दर्ज किया गया, जिसमें रविवार की तुलना में 57 सूचकांक की गिरावट दर्ज की गई। सुबह की शुरुआत धुंध और हल्के कोहरे से हुई, जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ हुई। ऐसे में दिनभर आसमान में हल्की स्मॉग की चादर देखने को मिली। इसके चलते सुबह के समय दृश्यता भी कम रही।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का पूर्वानुमान मंगलवार को हवा गंभीर श्रेणी में पहुंचने की आशंका है। इसके चलते सांस के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। लोगों को आंखों में जलन जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

सीपीसीबी के अनुसार, रविवार को हवा उत्तर-पश्चिम दिशा से 15 किलोमीटर प्रतिघंटे के गति से चली। अनुमानित अधिकतम मिश्रण गहराई 2100 मीटर रही। वेंटिलेशन इंडेक्स 15200 मीटर प्रति वर्ग सेकंड रहा। दोपहर तीन बजे हवा में पीएम10 की मात्रा 273.4 और पीएम2.5 153.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की गई।

सीपीसीबी के अनुसार, राजधानी के कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर हवा बेहद खराब में रिकॉर्ड की गई, जबकि कुछ इलाकों में एक्यूआई खराब रहा। वजीरपुर में 380, विवेक विहार में 402, आरके पुरम में 401, रोहिणी में 396, अशोक विहार में 350, आनंद विहार 362, अलीपुर 362, बवाना में 369 और जहांगीरपुरी में 373 समेत 10 इलाकों में एक्यूआई 350 के ऊपर दर्ज किया गया। दीपावली के बाद से दिल्ली में कई इलाकों में एक्यूआई खराब और बेहद खराब श्रेणी में बना हुआ है, जबकि ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान-2 (ग्रेप-2) के प्रतिबंध अब भी लागू हैं।

गाजीपुर, ओखला और भलस्वा में लैंडफिल साइट हैं। इन तीनों साइट पर लाखों टन कूड़ा पड़ा है। यहां से उड़ने वाली धूल वायुमंडल में तैरती रहती है। कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने का प्रयास कई वर्षों से चल रहा है। -निर्माण कार्य से निकलने वाली धूल: पूरे साल दिल्ली में निर्माण कार्य चलते रहे हैं। कुछ अधिकृत होते हैं लेकिन उससे ज्यादा अनाधिकृत निर्माण कार्य होते हैं। इनमें धूल प्रबंधन के नियम ध्वस्त नजर आते हैं।

एक आंकलन के मुताबिक दिल्ली में प्रतिदिन एक करोड़ दोपहिया से लेकर भारी वाहन सड़कों पर उतरते हैं। इनसे निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण को बढ़ावा देता है। धुएं से ज्यादा इनके टायरों से निकलने वाला मिनी पार्टिकल हवा को प्रदूषित करता है जो स्वास्थ्य के लिए ज्यादा नुकसानदेह होता है।

सड़कों पर उड़ती धूल भी वायु प्रदूषण में अहम रोल अदा कर रही है। कुछ सड़कों पर मशीन से सफाई होती भी है तो फुटपाथ पर धूल जमी रहती है। फुटपाथ पर मशीनें नहीं चल पाती हैं। अनाधिकृत कालोनियों में कई सड़कों के साथ कच्चे फुटपाथ हैं, जहां से धूल उड़ती रहती है। इन पर रोकथाम के लिए कोई व्यवस्था मजबूत नहीं हो पा रही है।

निर्माण कार्य व विध्वंस (सीएंडडी) से निकलने वाला मलबा सड़कों के किनारे पड़ा रहता है। दिल्ली में सीएंडडी वेस्ट से दूसरे उत्पाद तैयार करने के लिए चार प्लांट हैं। जब ये पूरी क्षमता से काम करें तो भी पांच हजार टन मलबा प्रतिदिन खपाया जा सकता है। लेकिन प्रतिदिन छह हजार टन मलबा निकलता है।

राजधानी में जगह-जगह खुले में कूड़ा जलाया जा रहा है। इस पर पूरे साल रोक होती है। लेकिन निगम इस पर पूरी तरह से नियंत्रण करने में नाकाम है। ग्रेप के दूसरे चरण के बाद भी लोग चेते नहीं हैं और जगह-जगह कूड़ा जलाया जा रहा है।

6. औद्योगिक उत्सर्जन : औद्योगिक गतिविधियों से निकलने वाले प्रदूषक वायु प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं। दिल्ली और इसके आसपास कई उद्योग हैं जो वायु प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं।

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